"तीन गिरफ़्तारी... और भीड़ कहां गई? सवालों से घिरा सीहोर का शर्मनाक वायरल कांड"
तीन पकड़ाए, बाकी 'धोती समेट' के निकल गए?
अब ये मत पूछिए कि इंसाफ मिला या नहीं...
बस इतना समझ लीजिए कि तीन गिरफ्तार हुए हैं,
बाकी वीडियो में दिख रहे लोग शायद 'छाया' थे!
देखा था आपने वो वायरल वीडियो?
जिसमें दो युवकों के साथ भीड़ ने इंसानियत की सारी हदें पार कर दीं —
जो आजकल सीहोर मैं नहीं बल्कि पूरे देश में ट्रेंडिंग वीडियो बन गया है, गोबर, बेइज्जती और पिटाई,कैमरे में कैद...
लेकिन पुलिसिया कार्रवाई देखिए साहब...
"केवल तीन" लोगों को गिरफ्तार किया गया है!
अब आप ही सोचिए...
भैंस को नहलाना हो तो चार आदमी लगते हैं...
लेकिन यहां दो जवान लड़कों को पीटना, गोबर खिलाना,
कपड़े बदलवाना — ये तीन लोगों ने कर दिखाया?
लगता है ये तीन लोग "शक्तिमान", "बाहुबली" और "सुपरमैन" हैं!
या फिर इनके पास कोई "गोबर स्पेशल ट्रेनिंग" थी?
वीडियो में भीड़ साफ दिख रही है,
लोग हंस रहे हैं, गालियां रहे हैं,
कैमरे घुमा रहे हैं...
पर गिरफ्तारी केवल तीन लोगों की ?
अब तो शक होता है कि पुलिस ने गिरफ़्तारी नहीं की,
बस संख्या पूरी करने के लिए 'तीन पर्चे' छाप दिए!
सवाल तो बनता है, जनाब!
क्या वीडियो में दिख रहे बाकी लोग 'भूत' थे?
क्या बाकी सब कैमरे के पीछे थे और इंसाफ के दायरे से बाहर?
या फिर ये "तीन मूर्ति" बाकी सबका गुनाह अकेले ढोएंगे?
मामला सीहोर जिले के एक गांव के वायरल वीडियो से जोड़कर देख सकते हैं,
मामला सीहोर जिले का है तो थाना भी सीहोर जिले का ही होना चाहिए
अब आप सोच रहे होंगे की भैया सवाल क्यों पूछ रहे हो,
पुलिस की कार्रवाई पर उंगली क्यों उठा रहे हो,
तो भैया नाम ही है उंगली चाचा तो काम भी वही होगा
जैसा नाम वैसा काम,


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